दुबई के भाई-बहन जीविका धिरज जैन (10 साल) और जैनम धिरज जैन (13 साल) ने कम उम्र में IGCSE 10वीं की परीक्षा पास की कम उम्र में बड़ी सफलता नया उदाहरण पेश किया

राधेश्याम देवड़ा न्यूज़ आजकल के एडिटर मध्य
प्रदेश दुबई के भाई-बहन जीविका धिरज जैन (10 साल) और जैनम धिरज जैन (13 साल) ने कम उम्र में IGCSE 10वीं की परीक्षा पास की कम उम्र में बड़ी सफलता नया उदाहरण पेश किया दुबई/ - मेहनत, लगन और अनुशासन का शानदार उदाहरण देते हुए जीविका धिरज जैन (10 साल) और जैनम धिरज जैन (13 साल) ने IGCSE 10वीं की बोर्ड परीक्षा पास कर ली है। यह सफलता उनकी बु‌द्धिमानी, एकाग्रता और पढ़ाई के प्रति समर्पण को दिखाती है। भारत में जन्मे और दुबई में पले-बढ़े इन बच्चों ने JJFun Time नाम के यूट्यूब चैनल से शुरुआत की थी। पहले खिलौनों के वीडियो बनाते थे, फिर धीरे-धीरे पढ़ाई से जुड़े वीडियो, साइंस प्रयोग और क्रिएटिव चुनौतियाँ बनाने लगे। इससे उनकी जिज्ञासा और पढ़ाई की आदत मजबूत हुई। दोनों ने मिलकर 1XL नाम का प्लेटफ़ॉर्म शुरू किया है, जो बिज़नेस शिक्षा और मेंटरशिप को नई दिशा देता है। वे दोनों TEDx स्पीकर भी हैं और दुनिया भर के बच्चों को प्रेरित कर रहे हैं। उनकी बड़ी उपलब्धियाँ: 50 दिन में धार्मिक पुस्तक का अध्ययन 50 दिन में 50 नेटवर्किंग कार्यक्रम 50 दिन में 50 सेल्फ हेल्प किताबें पढ़ीं 50 दिन में 50 नई स्किल्स सीखी 50 दिन में 120 कार्यक्रम किए साल 2025 में उन्होंने Exam Mission 105 नाम की चुनौती ली। सिर्फ 65 दिन पढ़ाई की और 40 दिन में परीक्षा दी। इस दौरान अपनी तैयारी और पढ़ाई के टिप्स उन्होंने JJMission Diary चैनल पर शेयर किए। सेवा भावना के तहत उन्होंने Jio HotStar.com नाम का डोमेन खरीदा और रिलायंस कंपनी को गिफ्ट कर दिया, खुद इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने "Dreams to Reality" नाम की किताब लिखकर अपनी यात्रा और सेवा के महत्व को साझा किया। 2025 में उन्होंने 200 पॉडकास्ट बनाने का लक्ष्य रखा है, जो The Jainam Show और The JivikaShow यूट्यूब चैनल पर देखे जा सकते हैं। सम्मान और पुरस्कारः CYL सुपर हीरो अवार्ड (अभिनेता सोनू सूद और स्पीकर स्नेह देसाई द्वारा) बाल रत्न पुरस्कार महाराष्ट्र सरकार से जैन स्टार पुरस्कार नेशनल यंग अचीवर्स अवॉर्ड और अन्य प्रेरणा बातें जैनम (13 साल): "सीखने की कोई उम्र नहीं होती। मेहनत और प्लानिंग से सब कुछ संभव है।" जीविका (10 साल): "यह सिर्फ नंबरों की बात नहीं है, बल्कि आत्मविश्वास, समय प्रबंधन और लगातार मेहनत की बात है।" पिता, डॉ. धिरज जैनः "अनुशासन, एकाग्रता और सेवा से कुछ भी संभव है।" मां, डॉ. ममता धिरज जैनः "उनकी सफलता में पढ़ाई के साथ-साथ सेवा और सीखने का जज्बा भी दिखता है।"

Post a Comment

0 Comments